June 11, 2025
नमस्ते! मैं हूँ डॉ. अमिता देवनानी, एक मनोवैज्ञानिक और लाइफ कोच। गुड़गांव (Gurgaon) में एक best psychologist in Gurgaon के रूप में, मैंने देखा है कि आजकल ज़्यादा सोचना, यानी ओवरथिंकिंग (overthinking), कितनी आम समस्या बन गई है।
क्या आप भी रात भर करवटें बदलते रहते हैं क्योंकि आपका दिमाग (mind) लगातार विचारों के जाल में उलझा रहता है? क्या छोटी सी बात भी आपके मन में बार-बार घूमती रहती है, जिससे आप थका हुआ और परेशान महसूस करते हैं? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। यह न सिर्फ आपकी मानसिक शांति (peace of mind) भंग करता है, बल्कि आपके रिश्तों, काम और शारीरिक स्वास्थ्य(physical health) पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है।
हम जानते हैं कि ज़्यादा सोचना कितना थका देने वाला हो सकता है और कैसे यह आपको चिंता (anxiety), तनाव (stress) और निर्णय लेने में हिचकिचाहट की ओर धकेलता है। यह एक ऐसी आदत है जो आपकी ऊर्जा को खत्म कर देती है और आपको वर्तमान क्षण का आनंद लेने से रोकती है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि आप इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं।
इस blog में, मैं आपको दस ऐसे प्रभावी उपाय बताऊँगी जो आपको ज़्यादा सोचने की आदत से बाहर निकलने और अपने मन को शांत करने में मदद करेंगे। ये उपाय आपको अपनी मानसिक सेहत (mental health) को बेहतर बनाने और जीवन में अधिक संतुलन लाने में सहायक होंगे।
चलिए, शुरुआत करते हैं!
अत्यधिक सोचना और चिंता करना रोकने के लिए 10 सुझाव:
1. विचारों को पहचानें और स्वीकार करें (Recognize and Accept Thoughts): जब मन में कोई विचार आता है, तो उसे दबाने या उससे लड़ने की बजाय उसे पहचानें। स्वीकार करें कि यह सिर्फ एक विचार है, एक एहसास है, कोई अटल सच्चाई नहीं। उसे आने दें और फिर जाने दें, जैसे बादल आसमान में आते-जाते हैं। यह अभ्यास आपको अपने विचारों से भावनात्मक रूप से अलग होने में मदद करता है।
2. माइंडफुलनेस (Mindfulness) का अभ्यास करें: माइंडफुलनेस (mindfulness) का अर्थ है वर्तमान क्षण में पूरी तरह से जीना और अपने आस-पास की चीज़ों पर ध्यान देना। अपने ध्यान को अपनी सांसों पर केंद्रित करें। रोज़ाना 5-10 मिनट तक गहरी सांस लेने का अभ्यास करें – सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें। जब आपका मन भटकने लगे, तो धीरे से उसे अपनी सांसों पर वापस लाएं। यह अभ्यास आपके मन को शांत करता है और आपको वर्तमान में वापस लाता है।
3. एक 'चिंता का समय' निर्धारित करें (Set a 'Worry Time'): पूरे दिन चिंता करने की बजाय, दिन में 15-20 मिनट का एक निश्चित समय तय करें (जैसे शाम 5 बजे)। इस समय में आप अपनी सभी चिंताओं के बारे में सोच सकते हैं, उन्हें लिख सकते हैं या उन पर विचार कर सकते हैं। जब दिन के किसी और समय कोई चिंता आए, तो उसे लिख लें और कहें, "मैं इस बारे में अपने चिंता के समय में सोचूंगा।" यह तरीका आपके दिमाग को यह जानने में मदद करता है कि चिंताओं पर कब ध्यान देना है।
4. अपनी भावनाओं को व्यक्त करें (Express Your Emotions): अपनी भावनाओं को अंदर दबाने से ओवरथिंकिंग (overthinking) बढ़ती है और तनाव (stress) पैदा होता है। किसी दोस्त, परिवार के सदस्य या भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें जिसके साथ आप सहज महसूस करते हैं। आप जर्नल भी लिख सकते हैं, जिसमें आप अपने विचारों और भावनाओं को खुलकर लिख सकें। अपनी भावनाओं को बाहर निकालने से आपको हल्कापन महसूस होगा।
5. समस्या-समाधान पर ध्यान दें, चिंता पर नहीं (Focus on Problem-Solving, Not Worrying): अगर कोई समस्या है जिसके कारण आप ज़्यादा सोच रहे हैं, तो उसके बारे में सिर्फ चिंता करने की बजाय उसे हल करने पर ध्यान दें। समस्या को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटें और हर हिस्से के लिए संभावित समाधान सोचें। फिर उन समाधानों को लागू करने की योजना बनाएं। यह सक्रिय दृष्टिकोण आपको नियंत्रण का एहसास कराएगा और आपकी चिंता (anxiety) को कम करेगा।
6. शारीरिक गतिविधि को अपनाएं (Embrace Physical Activity): नियमित व्यायाम न सिर्फ आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, बल्कि यह मानसिक सेहत (mental health) को भी बहुत फायदा पहुंचाता है। शारीरिक गतिविधि तनाव (stress) और ओवरथिंकिंग (overthinking) को कम करने में मदद करती है क्योंकि यह एंडोर्फिन जारी करती है। टहलना, योग, डांस या कोई भी खेल जिसमें आपकी रुचि हो, उसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
7. दूसरों से जुड़ें (Connect with Others): अकेलापन और अलगाव ओवरथिंकिंग (overthinking) को बढ़ावा दे सकते हैं। अपने दोस्तों और परिवार के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताएं। सामाजिक गतिविधियों में भाग लें, किसी क्लब या ग्रुप से जुड़ें। दूसरों के साथ जुड़ने से आपका ध्यान बंटेगा, आपको नए दृष्टिकोण मिलेंगे और आप अकेलापन महसूस नहीं करेंगे।
8. अपनी नींद का ख्याल रखें (Take Care of Your Sleep): पर्याप्त और अच्छी नींद न मिलना ओवरथिंकिंग (overthinking) का एक बड़ा कारण हो सकता है, क्योंकि थका हुआ दिमाग नकारात्मक विचारों को ज़्यादा संसाधित करता है। सोने से पहले स्क्रीन से दूर रहें, अपने सोने के कमरे को शांत और अंधेरा रखें, और एक नियमित नींद का शेड्यूल फॉलो करें।
9. परफेक्शनिज्म (Perfectionism) छोड़ें: अक्सर ज़्यादा सोचने वाले लोग हर काम में पूर्णता की तलाश करते हैं। यह समझें कि कोई भी व्यक्ति या काम पूर्ण नहीं होता और गलतियां करना मानवीय है। खुद पर अवास्तविक दबाव डालना छोड़ें और अपनी छोटी-छोटी सफलताओं का जश्न मनाएं। "काफ़ी अच्छा" भी "परफेक्ट" से बेहतर हो सकता है, खासकर जब यह आपकी मानसिक शांति (peace of mind) की बात हो।
10. प्रोफेशनल मदद लेने में हिचकिचाएं नहीं (Don't Hesitate to Seek Professional Help): अगर ओवरथिंकिंग (overthinking) आपके दैनिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है, आपको लगातार चिंता (anxiety) महसूस हो रही है, या आपके सामान्य कामकाज में बाधा डाल रही है, तो किसी विशेषज्ञ से सलाह लेने में संकोच न करें। एक अनुभवी मनोवैज्ञानिक (psychologist) या चिकित्सक (therapist) आपको सही मार्गदर्शन और उपकरण प्रदान कर सकता है जिससे आप इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपट सकें। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) जैसी थेरेपी (therapy) ओवरथिंकिंग के पैटर्न को तोड़ने में बहुत मददगार होती हैं। याद रखें, मदद मांगना ताकत की निशानी है, कमजोरी की नहीं।
डॉ. अमिता देवनानी के साथ अपनी ओवरथिंकिंग को समझें और दूर करें!
ओवरथिंकिंग (overthinking) एक आदत है, और आदतों को बदला जा सकता है। इन उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप धीरे-धीरे अपने मन को शांत करना सीख सकते हैं और एक अधिक संतुलित और सुखद जीवन जी सकते हैं। शुरुआत में यह मुश्किल लग सकता है, लेकिन धैर्य, निरंतर अभ्यास और आत्म-करुणा से आप निश्चित रूप से सफलता प्राप्त करेंगे।
इस विषय पर और गहराई से चर्चा सुनने के लिए, आप मेरा पॉडकास्ट (podcast) Compassionate Minds by Amita Devnani सुन सकते हैं, जहाँ मैं और अन्य मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर इन विषयों पर बात करते हैं।
सोचें कम जीएं ज्यादा
हम सभी कभी-कभी जुनूनी हो जाते हैं - यह इंसान होने का हिस्सा है। लेकिन आपके पास आदतन विचार पैटर्न को फिर से व्यवस्थित करने और आंतरिक शांति को बढ़ावा देने की आपकी समझ से कहीं ज़्यादा शक्ति है।
माइंडफुलनेस में बिना किसी निर्णय के वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है। जब आप माइंडफुल होते हैं, तो आप इस समय जो कुछ भी हो रहा है उसमें सक्रिय रूप से शामिल होते हैं, जिससे आप नकारात्मक, विचलित करने वाले या चिंताजनक विचारों और भावनाओं को पहचान पाते हैं और उन्हें कम कर पाते हैं।
ज़्यादा सोचने के रास्ते से दूर होने से ज़्यादा संतुलित, संतुष्ट जीवन की ओर ले जाया जा सकता है। इसलिए, अगली बार जब आप खुद को ज़्यादा सोचने में फंसा हुआ पाएं, तो एक कदम पीछे हटें, सांस लें और खुद को याद दिलाएँ कि वर्तमान में जीना है।
क्या आप अपनी ओवरथिंकिंग से बाहर निकलना चाहते हैं?
यदि आपको लगता है कि ज़्यादा सोचना आपके जीवन पर हावी हो रहा है और आपको व्यक्तिगत मार्गदर्शन की ज़रूरत है, तो डॉ. अमिता देवनानी के रूप में, मैं आपकी सहायता के लिए यहाँ हूँ। वर्चुअल काउंसलिंग फॉर ओवरथिंकिंग (virtual counselling for overthinking) के माध्यम से आप कहीं भी बैठकर मेरी विशेषज्ञ सलाह ले सकते हैं।
अपने जीवन की बागडोर अपने हाथों में लें। आज ही अपना कंसल्टेशन सेशन (counselling session) बुक करें। आप मेरी वेबसाइट पर जाकर या दिए गए संपर्क विवरण (+91 91510 06808 ) पर कॉल करके आसानी से counselling session book कर सकते हैं।
याद रखें, आपका मानसिक स्वास्थ्य सबसे ज़रूरी है। आप एक शांत और खुशहाल जीवन के हकदार हैं!