May 29, 2025
परीक्षा के परिणाम का इंतज़ार हर माता-पिता के लिए एक भावनात्मक चुनौती की तरह होता है। “मेरा बच्चा कितने नंबर लाएगा?”, “अगर रिजल्ट अच्छा न आया तो क्या होगा?”, “पड़ोसी का बच्चा तो टॉपर बन गया, हमारा क्या करेगा?” – ये सवाल हर घर में गूंजते हैं। Exam stress न केवल बच्चों को, बल्कि माता-पिता को भी परेशान करता है। मैं, अमिता देवनानी, best psychologist in Gurgaon , आपके साथ कुछ आसान, व्यावहारिक और प्रभावी तरीके साझा कर रही हूँ, जो parenting में mental health और emotional well-being को प्राथमिकता देकर इस तनाव को कम करेंगे। यह ब्लॉग उन सभी माता-पिता के लिए है जो अपने बच्चों के साथ इस तनावपूर्ण समय को एक सकारात्मक अनुभव में बदलना चाहते हैं। आइए, रिजल्ट के दिन को तनाव का नहीं, बल्कि प्यार और सपोर्ट का दिन बनाएँ!
भारत में, खासकर बोर्ड परीक्षाएँ (10वीं, 12वीं) या JEE/NEET जैसे कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स, बच्चों के भविष्य और परिवार की प्रतिष्ठा से जोड़े जाते हैं। Exam stress के पीछे कई कारण हैं:
उच्च अपेक्षाएँ: माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा टॉप करे, क्योंकि यह उनके लिए गर्व और सामाजिक मान्यता का सवाल होता है।
सामाजिक दबाव: “शर्मा जी के बेटे ने 98% लाए” या “पूरा मोहल्ला रिजल्ट की बात करेगा” जैसी तुलनाएँ तनाव बढ़ाती हैं।
भविष्य की चिंता: अगर रिजल्ट अच्छा न आया, तो बच्चे का करियर, कॉलेज, या नौकरी का क्या होगा? यह डर हर माता-पिता को सताता है।
आत्म-संदेह: कई बार माता-पिता सोचते हैं, “क्या मैंने बच्चे को सही गाइड किया?” या “क्या मेरी गलती है?”
लेकिन सच्चाई यह है कि exam stress को कम करके आप न केवल अपने mental health का ख्याल रख सकते हैं, बल्कि अपने बच्चे के लिए एक मज़बूत सपोर्ट सिस्टम भी बना सकते हैं।
रिजल्ट का इंतज़ार करते समय माता-पिता में कुछ आम लक्षण दिखते हैं। इन पर गौर करें:
शारीरिक लक्षण: नींद न आना, सिरदर्द, या थकान महसूस करना।
भावनात्मक लक्षण: बार-बार चिंता, बेचैनी, या बच्चे पर गुस्सा निकालना।
व्यवहारिक लक्षण: बच्चे से बार-बार सवाल पूछना, जैसे “तूने अच्छे से पढ़ा था ना?” या खुद को दोष देना।
अगर आप इनमें से कुछ अनुभव कर रहे हैं, तो यह समय है अपने और अपने बच्चे के emotional well-being का ख्याल रखने का। तनाव को कम करने के लिए आपको घंटों की ज़रूरत नहीं, बस कुछ मिनटों की सही रणनीति काफी है।
Exam stress को कम करने के लिए ये छोटे-छोटे तरीके माता-पिता और बच्चों दोनों के लिए कारगर हैं। इन्हें रिजल्ट से पहले या बाद में आज़माएँ:
साँस की कसरत (Deep Breathing): 2 मिनट के लिए गहरी साँस लें – 4 सेकंड साँस अंदर, 4 सेकंड रोकें, और 4 सेकंड छोड़ें। यह तुरंत आपके दिमाग को शांत करता है और mental health को बेहतर बनाता है।
सकारात्मक आत्म-बात (Positive Self-Talk): अपने आप से कहें, “मेरा बच्चा मेहनती है, रिजल्ट सिर्फ एक नंबर है।” यह आपकी चिंता को कम करेगा और बच्चे के प्रति आपका नज़रिया सकारात्मक बनाएगा।
छोटी खुशी: रिजल्ट का इंतज़ार करते समय बच्चे के साथ चाय या कॉफी पिएँ, उनकी पसंदीदा मूवी की बात करें, या कोई पुरानी मज़ेदार याद शेयर करें। यह माहौल को हल्का करता है।
पारिवारिक गतिविधि: रिजल्ट से पहले 5 मिनट का कोई गेम खेलें, जैसे “20 सवाल” या बस हँसी-मजाक करें। यह parenting में मज़ा लाता है और तनाव को कम करता है।
प्रकृति के साथ समय: अगर मुमकिन हो, तो बच्चे के साथ 5 मिनट बगीचे में टहलें या खुली हवा में बैठें। यह दोनों के लिए ताज़गी लाएगा।
बच्चे भी रिजल्ट को लेकर उतने ही परेशान होते हैं, जितने आप। उनकी भावनाओं को समझना और emotional well-being को प्राथमिकता देना ज़रूरी है। यहाँ कुछ टिप्स हैं:
बात सुनें, बिना जज किए: बच्चे से पूछें, “तुम कैसा महसूस कर रहे हो?” और उनकी बात धैर्य से सुनें। सलाह देने की जल्दी न करें।
प्रयास की तारीफ करें: अगर रिजल्ट उम्मीद से कम आए, तो कहें, “तूने बहुत मेहनत की, हमें गर्व है। अब अगला कदम सोचते हैं।” यह बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाता है।
तुलना से बचें: “पड़ोसी का बच्चा” या “तेरे भाई ने तो इतने नंबर लाए थे” जैसे कमेंट्स बच्चे के mental health को नुकसान पहुँचाते हैं।
प्यार और सपोर्ट दिखाएँ: एक छोटा-सा हग या “हम हर हाल में तेरे साथ हैं” कहना बच्चे को सुरक्षित महसूस कराता है।
सकारात्मक भविष्य की बात करें: रिजल्ट अच्छा हो या न हो, बच्चे को बताएँ कि उनके पास और मौके हैं। उदाहरण: “यह एक कदम है, पूरी ज़िंदगी नहीं।”
Exam stress को बार-बार अनुभव करने से बचने के लिए माता-पिता को कुछ लंबे समय की रणनीतियाँ अपनानी चाहिए:
यथार्थवादी अपेक्षाएँ रखें: हर बच्चा अलग है। उनके इंटरेस्ट, जैसे कला, खेल, या टेक्नोलॉजी, को समझें और सिर्फ नंबर पर ध्यान न दें।
बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाएँ: उन्हें सिखाएँ कि असफलता सीखने का मौका है। कहें, “हर बार टॉप करना ज़रूरी नहीं, मेहनत करना ज़रूरी है।”
खुद का ख्याल रखें: माता-पिता का mental health भी उतना ही ज़रूरी है। रोज़ 10 मिनट योग, मेडिटेशन, या दोस्तों से बात करें। अगर आप शांत रहेंगे, तो बच्चा भी शांत रहेगा।
खुला माहौल बनाएँ: घर में ऐसा माहौल बनाएँ जहाँ बच्चा अपनी चिंताएँ बिना डर के शेयर कर सके। उदाहरण: रात के खाने पर हर दिन 5 मिनट बच्चे से उनके दिन के बारे में पूछें।
हॉबीज़ को प्रोत्साहन: पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे को खेल, ड्रॉइंग, या म्यूज़िक जैसी गतिविधियों के लिए समय दें। यह उनके emotional well-being को मज़बूत करता है।
करियर काउंसलिंग का सहारा: अगर रिजल्ट के बाद बच्चे का भविष्य अनिश्चित लगे, तो career counselling से मदद लें। यह बच्चों को उनके इंटरेस्ट और स्किल्स के आधार पर सही रास्ता चुनने में मदद करता है।
मेरे पास कुछ समय पहले गुड़गाँव के एक माता-पिता का जोड़ा आया था। उनका बेटा 12वीं की बोर्ड परीक्षा दे रहा था, और वे रिजल्ट को लेकर इतने तनाव में थे कि रात को नींद नहीं आ रही थी। मैंने उन्हें सलाह दी कि रिजल्ट के दिन सुबह बच्चे के साथ 10 मिनट बगीचे में टहलें और उससे उसकी पसंदीदा क्रिकेट टीम या मूवी के बारे में बात करें। रिजल्ट आया, और नंबर उम्मीद से कम थे। लेकिन इस बार माहौल अलग था। माता-पिता ने बच्चे को गले लगाया और कहा, “तूने पूरी मेहनत की, अब हम मिलकर अगला प्लान बनाएँगे।” बच्चे ने जवाब दिया, “मम्मी-पापा, आप मेरे साथ हैं, तो मुझे डर नहीं लगता।” इसके बाद, उन्होंने career counselling सेशन लिया, जिससे बच्चे को अपने इंटरेस्ट के हिसाब से करियर ऑप्शन्स समझने में मदद मिली। यह छोटा-सा पल उनके लिए बहुत बड़ा सबक था – parenting में प्यार और सपोर्ट नंबर से कहीं ज़्यादा कीमती हैं।
रिजल्ट डे रिचुअल बनाएँ: रिजल्ट के दिन तनाव को कम करने के लिए एक छोटा-सा रिचुअल बनाएँ, जैसे बच्चे की पसंदीदा मिठाई खाना, पार्क में टहलना, या कोई मजेदार गेम खेलना।
स्कूल या टीचर से बात करें: अगर रिजल्ट अच्छा न आए, तो टीचर से बच्चे की प्रोग्रेस और सुधार के तरीकों पर चर्चा करें।
प्रोफेशनल मदद लें: अगर तनाव बहुत ज़्यादा हो, तो एक साइकोलॉजिस्ट या career counsellor से बात करें। Mental health को प्राथमिकता देना कोई कमज़ोरी नहीं है।
पेरेंटिंग कम्युनिटी जॉइन करें: ऑनलाइन या ऑफलाइन पेरेंटिंग ग्रुप्स में शामिल हों, जहाँ आप अपने अनुभव साझा कर सकते हैं और दूसरों से सीख सकते हैं।
करियर ऑप्शन्स पर बात करें: रिजल्ट के बाद बच्चे के साथ उनके इंटरेस्ट और स्किल्स पर चर्चा करें। Career counselling सेशन बच्चों को सही दिशा दिखा सकते हैं।
परीक्षा के परिणाम आते-जाते रहेंगे, लेकिन आपके और आपके बच्चे के बीच का रिश्ता हमेशा रहेगा। Exam stress को कम करें, अपने बच्चे की मेहनत की तारीफ करें, और उनके साथ हर कदम पर खड़े रहें। यह न केवल उनके emotional well-being को मज़बूत करेगा, बल्कि आपके रिश्ते को भी गहरा बनाएगा। अगर आपको रिजल्ट के बाद बच्चे के भविष्य को लेकर चिंता है, तो career counselling एक शानदार तरीका है उनके लिए सही रास्ता चुनने में मदद करने का। मेरे यूट्यूब वीडियो “परीक्षा के परिणाम का तनाव कैसे कम करें” में मैंने इस बारे में और विस्तार से बताया है – इसे ज़रूर देखें!
अगर आपको और parenting टिप्स चाहिए, mental health या career counselling से जुड़े सवाल हैं, तो मेरे यूट्यूब चैनल Compassionate Minds by Amita Devnani पर आएँ या amitadevnani.com पर free session book करें। मैं, best psychologist in Gurgaon, आपके और आपके परिवार के लिए हमेशा उपलब्ध हूँ। आइए, मिलकर अपने बच्चों के लिए एक सकारात्मक और तनावमुक्त माहौल बनाएँ!
कमेंट में बताएँ – आप रिजल्ट के दिन तनाव को कैसे हैंडल करते हैं? या कोई सवाल हो, तो पूछें!