July 20, 2021
क्या कुछ बच्चे दूसरों की तुलना में स्वाभाविक रूप से अधिक आक्रामक होते हैं? या फिर बाहरी वातावरण इसके लिए जिम्मेदार होते हैं?
कुछ बच्चे स्वाभाविक रूप से दूसरे बच्चों की तुलना में अधिक आक्रामक हो सकते हैं। जुड़वा बच्चों पर हुए तमाम अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं। हम सभी जानते हैं कि जुड़वा बच्चे एक ही जैसे वातारण में पलते हैं, बड़े होते हैं। इसके बावजूद एक बच्चा दूसरे बच्चे की तुलना में ज्यादा आक्रामक हो सकता है। इससे पता चलता है कि कुछ बच्चों में स्वाभाविक रूप से आनुवंशिक गुण होते हैं जो दूसरों की तुलना में अधिक आक्रामक होते हैं।
क्रोध को स्वीकार करना बहुत जरूरी है। अक्सर पेरेंट्स बच्चे के क्रोध को स्वीकार नहीं कर पाते या उसे समझा नहीं पाते। नतीजतन बच्चों पर उनका गुस्सा फूट पड़ता है। बच्चे के लिए ऐसी स्थिति ज्यादा कष्टकर हो सकती है। ऐसे में वे अपना नियंत्रण खो सकते हैं।
अभिभावक के रूप में आपको अपने बच्चे के गुस्से को स्वीकार करना चाहिए। यदि वह गुस्से में आग बबूला होता है, तो उसे शांत करने की कोशिश करें। उसे समझाएं कि गुस्से में किया गया कोई भी काम सही नहीं होता है। गुस्से की वजह से उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके बजाय उसे शांत करके समझाने की कोशिश करें कि अपने गुस्से को समझें। बच्चे को गुस्सैल होने के बजाय मुखर होना सिखाएं।
कुछ तकनीकों की मदद से आप अपने बच्चे के गुस्से को तुरंत शांत कर सकते हैं। जैसे गुस्सा आने पर बच्चे से कहें कि गहरी सांस लें और स्वीकार करे कि वह गुस्से में है। इससे वह समझ पाएगा कि कौन सी स्थिति उसे क्रोधित कर सकती है। इसी तरह आपको भी उन बिंदुओं को समझने में मदद मिलेगी कि किस बात पर बच्चा गुस्सा हो सकता है। ऐसी कोई स्थिति दोबारा आने पर आप बच्चे का ध्यान भटका सकते हैं। उससे खेलने या किसी अन्य गतिविधि करने को कह सकते हैं।
अगर आपका बच्चा गुस्से की समस्या से जूझ रहा है तो सबसे पहले उसे गुस्से को प्रबंधन यानी एंगर मैनेजमेंट करना सिखाएं। एंगर मैनेजमेंट से बच्चे को समझ आता है कि स्थितियां हमारे क्रोध को नहीं बढ़ाती हैं अपितु हमारी सोच हमें गुस्सैल स्वभाव का बनाती है। इसलिए एंगर मैनेजमेंट के दौरान सबसे पहले अपनी सोच पर काबू करना होता है। उन बिंदुओं पर गौर करना होता है, जो गुस्से को बढ़ावा देती हैं।
जब बच्चा उन ट्रिगर प्वाइंट्स को समझ जाता है, जो उन्हें गुस्से से भर देती है, तब गुस्से पर काबू पाना आसान हो जाता है। इसके साथ ही बतौर पेरेंट्स आपको यह देखना होता है कि गुस्सा आने पर बच्चे की शारीरिक प्रतिक्रिया कैसी होने लगती है? उन शारीरिक प्रतिक्रियाओं को समझकर बच्चे की भावनाओं को निंयत्रित किया जा सकता है। कुछ रिलैक्स तकनीक को भी अपनाया जा सकता है।
यह सच है कि बच्चे अपने पेरेंट्स से सबसे पहले सीखते हैं। आमतौर पर तीन तरह की तकनीके हैं, जिनके माध्यम से बच्चे सीखते हैं जैसे-
माॅडल - पेरेंट्स बच्चे के पहले माॅडल होते हैं, जिन्हें देखकर बच्चे समाज में या अपने आसपास के लोगों के साथ बिहेव करना सीखते हैं।
इनाम - बच्चे को अक्सर इनाम देने के बहाने से चीजों को याद कराया जाता है। यदि बच्चा गलतियां करता है, तो उन्हें सजा दी जाती है। हालांकि याद कराने के लिए यह सबसे अच्छे माध्यमों में से यह एक माध्यम है।
निर्देश - बच्चे निर्देशों के जरिए भी सीखते हैं। माता-पिता, शिक्षकों या बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा दिए गए निर्देश स्पष्ट रूप से बच्चों को सिखाते हैं।माॅडल के जरिए बच्चे सबसे आसानी से चीजें सीखते हैं। इसलिए पेरेंट्स घर में जैसा बर्ताव करते हैं, बच्चे भी वैसा ही बिहेव करने लगते हैं। यदि किसी स्थिति में पेरेंट्स गुस्सा हो जाते हैं और अपना गुस्सा घर-परिवार के लोगों पर निकालते हैं, तो बच्चे भी वैसा ही करने लगते हैं।
कई बार बच्चे टैंट्रम, गुस्सा इसलिए भी दिखाते हैं ताकि वे अपने पेरेंट्स का अटेंशन पा सके। दरअसल कई बार बच्चे असुरक्षाबोध से घिर जाते हैं। ऐसे में उन्हें हर पल मां-बाप का साथ चाहिए होता है। इसके लिए वे किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसी स्थिति में पेरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चे की भावनाओं को स्वीकार करें। बच्चे पर गुस्सा करना कभी भी समस्या का समाधान नहीं होता है। बच्चे के गुस्से के पीछे छिपी उसकी वजह को पहचानने की कोशिश करें। यदि आपका बच्चा कुछ मांग रहा है और किसी कारणवश आप वह नहीं दे पा रहे हैं, तो बच्चे को प्यार से समझाएं। उसे तथाकथित चीज न देने की वजह बताएं। बच्चे के साथ अच्छी तरह पेश आएं।
मारपीट कभी किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। बच्चे पर चिल्लाना या हाथ उठाना भी कोई समाधान नहीं है। ऐसा करने से बच्चे का गुस्सा शांत नहीं होगा और न ही वे डिसीप्लीन में आएंगे। मारपीट या गुस्सा करने से पहले कुछ समय के लिए बच्चा अपकी बातों को मानने लगे, लेकिन धीरे-धीरे वह आपकी बातों को नजरंदाज करने लगेगा। यह स्थिति बच्चे को अड़ियल बना सकती है।
बच्चे को डिसीप्लीन में लाने के लिए पेरेंट्स निम्न तकनीकों को अपना सकते हैं-
प्रोत्साहित करें।
सकारात्मक रवैया रखें।
बदतमीजी या अपमान स्वीकार न करें।
जब आप गुस्से में हों तो बच्चों के साथ टकराव से बचने की कोशिश करें